महान उपलब्धियां बड़ी जिम्मेदारियों के साथ आती हैं। जब
लॉकडाउन के दौरान आत्मघाती व्यवहार की रिपोर्ट में 67% की वृद्धि हो गई थी, तब, मंगलम, निर्लाभ – संगठन की शुरुआत कोविड19 के दौरान हुई । इसने युवाओं के साथ-साथ वृद्ध लोगों को अपनी चिंता, दुःख और दबी भावनाओं को बाहर निकालने का अवसर प्रदान किया। उसके बाद से मंगलम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसकी स्थापना डा. ए. के. आर्य ने सिर्फ 7 सदस्यों के साथ 9 मई, 2021 को किया, जिसमे आज 63 सदस्य कार्यरत हैं।
मंगलम की शुरुआत एक साधारण मकसद से हुई थी, जो लोगों को कोविड के साथ और अपने लंबे समय से खोए हुए लोगों के दुख से उबरने में मदद करना है। आज यह उन लोगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन कौन्सिलिंग प्रदान करता है जो मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित हैं या अवसाद में हैं।मंगलम 12 भाषाओं में परामर्श प्रदान करता है- हिंदी, इंग्लिश, भोजपुरी, उड़िया, तेलुगु, मगही, बंगाली, मराठी, नेपाली, गुजराती, अंगिका और मारवाड़ी।
अब इन्हें स्कूलों और संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों के लिए भी बुलाया जाता है। इसी के विस्तार का एक रूप है “मंथन”। “मंथन” के द्वारा मंगलम ने सरकारी स्कूलों में करियर परामर्श शुरू कर दिया है। यह अपने और भी महान उपक्रमों की प्रतीक्षा कर रहा है।