राजगीर।महाभारत काल के ऐतिहासिक उपेक्षित धरोहर सिद्धनाथ मंदिर के विकास का कार्य मंगलवार से प्रारंभ हो गया है।
नालन्दा जिलान्तर्गत राजगीर के वैभारगिरि पर्वत पर अवस्थित सिद्वनाथ मंदिर के सौन्दर्यीकरण, संरक्षण एवं विकास हेतु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पटना अंचल पटना के द्वारा इन अवशेषों को बचाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
स्मारक के संरक्षण कार्य के साथ प्राचीन ईटों के मरम्मत का कार्य, मुख्य गर्भ गृह में पानी का रिसाव संबंधित मरम्मत का कार्य, रिटेनिंग वॉल के मरम्मत का कार्य एवं पारंपरिक मिश्रण द्वारा संरचना के प्वाइंटिंग के कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाएगा।
महाभारत काल के इस पौराणिक धरोहर की स्थापना मगध के प्रतापी सम्राट राजा जरासंध ने किया था।भेल्वा डोप तालाब में प्रतिदिन स्नान के बाद राजा जरासंध नित्य दिन इस मंदिर में पूजा अर्चना किया करते थे।
राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर अवस्थित महादेव मंदिर के संरक्षण कार्य का शुभारंभ गौतमी भट्टाचार्य, अधीक्षण पुरातत्वविद, पटना मण्डल द्वारा किया गया।
अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को दिए गए आवेदन के आलोक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित बिहार सरकार का पर्यटन विभाग बीते वर्ष 2021 में सक्रिय हुआ।बिहार सरकार के पर्यटन विभाग के विशेष सचिव और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से समन्वय और पत्राचार के बाद सिद्धनाथ के विकास की कवायद शुरू हो सकी। सरकार के निर्देश पर पर्यटन विभाग के अधिकारी सहित नालंदा जिला प्रशासन द्वारा स्थल निरीक्षण के उपरांत इस जीर्ण शीर्ण धरोहर के विकास की रूपरेखा तय की गई।जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसके संरक्षण की कवायद कर रही है तो बिहार सरकार का पर्यटन विभाग यहां पानी, प्रकाश सहित अन्य सुविधाओ के विस्तार के साथ सौंदर्यीकरण का कार्य करेगी जिसके लिए अभी वन एवं पर्यावरण विभाग से अनापत्ति की प्रक्रिया चल रही है। पुरातत्व विभाग की अधीक्षक पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना के साथ प्राचीन ईंट को जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया गया।