नाग पंचमी का क्या है आध्यात्मिक लाभ, देखें पूरी रिपोर्ट

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RABG LIVE DESK: नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नाग पूजा करने की परंपरा है । प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में नाग पूजा का उल्लेख पाया जाता है, यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है। नागपंचमी संपूर्ण भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है । इस वर्ष अंग्रेजी माह के अनुसार 2 अगस्त को यह त्यौहार मनाया जाएगा ।

जाने नाग पंचमी पूरी इतिहास: पांच युगों से पूर्व सत्येश्वरी नामक एक कनिष्ठ देवी थी । उनका सत्येश्वर नाम का भाई था । सत्येश्वर की मृत्यु नागपंचमी से एक दिन पूर्व हो गई थी । सत्येश्वरी को उसका भाई नाग के रूप में दिखाई दिया । तब उसने उस नाग रूप को अपना भाई माना । उस समय नाग देवता ने वचन दिया कि, जो बहन मेरी पूजा भाई के रूप में करेगी, मैं उसकी रक्षा करूंगा । इसलिए प्रत्येक स्त्री उस दिन नाग की पूजा कर नागपंचमी मनाती है ।

पृथ्वी पर जब अधर्म बढता है, तब दुर्जनों द्वारा अत्याधिक कष्ट दिए जाते हैं । इस कारण साधकों के लिए साधना करना कठिन हो जाता है । तब दुर्जनों का विनाश करने हेतु ईश्वर प्रत्यक्ष रूप धारण कर जन्म लेते हैं । ईश्वर के इसी प्रत्यक्ष रूप को अवतार कहते हैं । ईश्वर का यह अवतार रूप दुर्जनों का विनाश कर धर्म संस्थापना करते हैं । यह धर्म संस्थापना का कार्य ही अवतार कार्य है । जब ईश्वर अवतार लेते हैं, तब उनके साथ अन्य देवता भी अवतार लेते हैं एवं ईश्वर के धर्म संस्थापना के कार्य में सहायता करते हैं । उस समय नाग देवता भी उनके साथ होते हैं । जैसे, त्रेतायुग में भगवान श्रीविष्णु ने राम अवतार धारण किया तब शेषनाग लक्ष्मण के रूप में अवतरित हुए । द्वापर युग में भगवान श्रीविष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लिया । उस समय शेष बलराम बने ।
संदर्भ : सनातनका ग्रंथ ‘त्यौहार, धार्मिक उत्सव व व्रत’

इस दिन मेंहदी लगाने का महत्व : नागराज, सत्येश्वर के रूप में सत्येश्वरी के सामने प्रकट हुए । ‘वह चले जाएंगे’, ऐसा मानकर सत्येश्वरी ने उनसे अर्थात नागराज से अपने हाथों पर वचन लिया । वह वचन देते समय सत्येश्वरी के हाथों पर वचन चिन्ह बन गया । उस वचन के प्रतीक स्वरूप नागपंचमी से एक दिन पूर्व प्रत्येक स्त्री अपने हाथों पर मेहंदी लगाती है ।

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