RABG LIVE DESK : द कश्मीर फाइल विवेक अग्निहोत्री कि यह फिल्म जिसमें अनुपम खेर ,मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार पल्लवी जोशी ,प्रकाश, बेलावड़ी, पुनीत इस्सर अतुल श्रीवास्तव, चिन्मय मंडलेकर ,भाषा सुबली यह सारे लोगों ने इस फिल्म में अपना कलाकारी दिखाया है. इस फिल्म के बारे में आपको बता दें कि खासकर इस फिल्म में कश्मीर के पंडितों की दशा को लेकर दर्शाया गया है| क्या विडंबना है लोग कश्मीर को जन्नत मानते हैं उसे भारत का स्वर्ग कहते हैं| आपको बता दें कि यह फिल्म 1990 में कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को दिखाती है जिसने इस्लामिक आतंकियों द्वारा अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया था फिल्म बताती है कि वह सिर्फ एक पलायन नहीं है बल्कि नरसंहार था| और आज भारत के 561 सिनेमाघरों में यह फिल्म रिलीज हो गई है आपको बता दें कि यह फिल्म पटना में पीएनएम मॉल और एलफिंस्टन में सिर्फ लगाई गई है यह फिल्म देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ी है और सारी शो हाउसफुल बताई जा रही है.
यह फिल्म की कहानी 1990 के दशक से शुरू होकर मौजूदा साल तक पहुंचती है दिल्ली में पढ़ रहा दर्शन कुमार ( कृष्णा) अपने दादाजी पुष्कर नाथ पंडित ( अनुपम खेर) की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए श्रीनगर आता है और कश्मीर के अतीत से बेखबर वह अपने परिवार से जुड़ी सच्चाई की खोज में लग जाता है और यहां उसकी मुलाकात उसके अपने दादाजी के चार दोस्तों से होती है और उसी बीच धीरे-धीरे कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार की चर्चा शुरू होती है और कहानी पहुंचती है 1990 में और आगे इस फिल्म में दिखाया गया कि किस तरह कश्मीर की गलियों में आतंकी बंदूके लेकर घूम रहे हैं और कश्मीरी पंडितों को ढूंढ कर मारते फिर रहे हैं और उनके घरों को जला रहे हैं | क्या बच्चे क्या बुजुर्ग और क्या महिला उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है बस उन्हें पकड़ते और सीधा गोली मार देते थे इस फिल्म में आप यह सारी दृश्य देखकर आपकी रूह कांप जाएगी और आप सोच में डूब जाएंगे कि किस तरह से उस वक्त उन पंडितों की हाल होगी|
यह फिल्म बताया जा रहा है कि 2 घंटे 40 मिनट तक लंबी है और इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री है| यह फिल्म कश्मीरी पंडित पर हुए तमाम हिंसा को लेकर दर्शाती है! निर्देशक मुख्य तौर पर तीन किरदारों के जरिए हमें कश्मीरी पंडित की पीड़ा दिखाने की कोशिश करते हैं- पुष्कर नाथ पंडित का किरदार एक आम पीड़ित पंडित को दिखाता है वही शारदा का किरदार महिलाओं पर हुए अत्याचार को और कृष्णा का किरदार पंडित की तीसरी पीढ़ी है जो अतीत की वह वास्तविकताओ से बेखबर है|
और इस फिल्म में एक्टिंग की बात करें तो अनुपम खेर अपने अभिनय से आपके दिलों में उतर जाएंगे तो वही मिथुन चक्रवर्ती इस फिल्म में अपनी शानदार प्रदर्शन दिखाया है और उन्होंने बहुत ही अच्छे से काम किया है इसके अलावा फिल्म में दर्शन कुमार एक पल्लवी जोशी प्रकार से बेलावड़ी पुनीत अतुल श्रीवास्तव चिन्मय मंडलेकर भाषा शैली भी अहम किरदार में नजर आए हैं और इन सभी ने बहुत ही अच्छे तरीके से विवेक अग्निहोत्री के सालों रिसर्च कर इस फिल्म की कहानी पर काम किया है|
और अब इस फिल्म की रेटिंग की बात करें तो हर तरफ से इसकी रेटिंग ठीक-ठाक ही नजर आ रही है कुल अगर हम रेटिंग की बात करें तो 4.2 है