RABG LIVE NEWS DESK: भाजपा के अंदर अभी भी है उद्धव ठाकरे का खौफ, कभी भी पलट सकता है पासा. जी हां पहले सत्ता और फिर उद्धव ठाकरे से पार्टी छीनते ही भाजपा ने अपने पूर्व सहयोगी को हर मामले में मात दे दिया है. लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि दोनों के रिश्ते में खटास कम हो रही है…और भाजपा ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ नरम रुख कायम कर लिया है. यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर उद्धव को हर मामले में तबाह करने के बाद भाजपा का हृदय परिवर्तन क्यों हुआ. आपको बता दें उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले सप्ताह सुझाव दिया था कि हम अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दुश्मन नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने अलग रास्ता चुना है, हमारा रास्ता अलग है
लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं बल्कि हमारे बीच वैचारिक मतभेद हैं. यानी कि भाजपा जनता के सामने खुद को उद्धव ठाकरे के विरोधी के रूप में पेश नहीं करना चाह रही है….जबकि भाजपा के समर्थन से ही उद्धव को सत्ता से दूर होना पड़ा. ऐसे में भाजपा के इस रुख पर राजनीतिक जानकारों का यह कहना है कि एकनाथ शिंदे गुट जो बीजेपी के साथ सत्ता में है, उसे भले ही पार्टी का नाम और सिंबल भी मिल गया हैसत को लूट लिया गया है, और भाजपा से प्रतिशोध की कसम खा रहे हैं. बीजेपी जानती है कि अगर उद्धव सेना पार्टी के अत्यधिक भावनात्मक अनुयायियों के साथ विश्वासघात लेकिन बीजेपी भी जानती है कि सहानुभूति की लहर उद्धव ठाकरे के साथ है. जानकारों के अनुसार चूंकि शिवसेना बाल ठाकरे द्वारा स्थापित किया गया था, इसलिए शिवसेना और ठाकरे परिवार को एक ही रूप में देखा गया है, और कई वफादार चुनाव आयोग की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण और केंद्र में भाजपा सरकार से प्रभावित के रूप में देख रहे हैं. दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे भी इसे अपना हथियार बनाये हुए हैं. उनका भी कहना है कि उनके पिता की विराका एक ठोस सबूत पेश करने में सक्षम रहीं तो बाजी जल्दी से बदल सकती है. वहीं भाजपा के कई नेताओं का भी कहना है कि पार्टी के नाम और सिंबल के लिए लड़ाई उद्धव सेना और शिंदे गुट के बीच थी
लेकिन उद्धव के पक्ष में जनभावना भाजपा की छवि को धूमिल करेगी. भाजपा ने कहा कि हमें इस साल होने वाले बीएमसी चुनावों और 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले अपने रोडमैप को सही करना होगा और सावधानी से चार्ट बनाना होगा. वहीं अब भाजपा उद्धव प्रकरण से आगे बढ़ना चाह रही है. ताकि जनता के सामने अन्य मुद्दों को उठाया जाए. यानी कि भाजपा को यह पूरी तरह से एहसास है कि उद्धव के पक्ष में सहानुभूति की लहर शिवसेना शिंदे गुट के साथ साथ भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए पार्टी उद्धव ठाकरे के खिलाफ नरमी का संकेत दे रही है ताकि