RABG LIVE NEWS DESK: आनंद मोहन की रिहाई में बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस जेएस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कृष्णैया के पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई की. जिसके बाद आनंद मोहन की रिहाई पर जवाब देने कि लिए बिहार सरकार को और मोहलत मिल गई. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देने के लिए वक्त मांगा है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को इस मामले पर आगे की सुनवाई करेगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से आनंद मोहन की रिहाई के मूल रिकॉर्ड भी पेश करने को कहा है, जिसके आधार पर पूर्व सांसद को छोड़ा गया है. इस मामले को लेकर अब 3 महीने बाद की तारीख दी है. वैसे सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा कि इसके बाद कोई समय नहीं दिया जाएगा. गौरतलब है कि गोपालगंज के तत्कालीन DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर 8 मई को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी ने पहली सुनवाई की थी. उस दिन कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन दोनों को नोटिस जारी किया था. साथ ही दो हफ्ते में इस मामले की सुनवाई करने की बात कही थी.
दरअसल, IAS अधिकारी और गोपालगंज के DM जी कृष्णैया की हत्या मामले में आनंद मोहन करीब 16 साल तक जेल में बंद थे. नीतीश सरकार ने कानून में बदलाव कर आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया था. वैसे बाहुबली आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी. आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना पड़ता है. लेकिन नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया. इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं. 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया. जिसको लेकर अब बिहार सरकार खुद सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में खड़ा है. गौरतलब है कि 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था. नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा. लेकिन 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया. इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ. अब देखना यह है कि अगली डेट में सरकार क्या रिपोर्ट पेश करती है.