RABG LIVE NEWS DESK : विपक्षी दलों का आरोप उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गयाजेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के विरोध में 28 मई को विरोध दिवस मनाया जाएगा इस दिन पूरे राज्य में बाबा साहेब की प्रतिमा के पास एक दिवसीय अनशन का आयोजन किया जाएगा इसमें पार्टी के सभी भाग नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पटना में हाईकोर्ट के पास मौजूद बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष एक दिवसीय अनशन का आयोजन होगा पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि राष्ट्रपति से नए भवन का उद्घाटन नहीं कराना और ना ही उन्हें इस कार्यक्रम में उन्हें आने का निमंत्रण देना दलित महिला का अपमान है बर्दाश्त नहीं करेगा इस भवन में के शिलान्यास के समय भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया था भाजपा लगातार दलितों का अपमान करती आ रही है देश की गौरवशाली इतिहास को प्रधानमंत्री की मोदी खत्म करना चाहते हैं ज्यादातर विपक्षी दलों का आरोप है कि इस उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया है औऱ स्पीकर भी नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए.
प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर सवाल उठा रहे हैं जबकि उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह विधानमंडल का विस्तारित हवन है कोई नया भवन नहीं है उस समय उद्घाटन के दौरान भाजपा नेता भी मौजूद थे ऐसे में क्या वे तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार पासवान समेत अन्य सभी पार्टी के नेताओं का अपमान कर रहे हैं मौके पर कोषाध्यक्ष समेत अन्य मौजूद रहे
राज्यसभा सांसद तथा जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संस्थाओं का बहुत महत्व होता है वह हमारे इतिहास को बताती है क्योंकि वह अन्य घटनाओं से साक्षी होती है उन संस्थाओं के माध्यम से हम अपने गौरव अपनी परंपरा और अपनी संस्कार को सहेज कर रख पाते हैं पर आज संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर केंद्र की मौजूदा सरकार ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति का परिचय दिया है सत्ता के अहंकार के विरोध में आज विपक्ष की 21 पार्टियां एक साथ खड़ी हैं यह एक बड़ी घटना है ने संसद भवन में अशोक स्तंभ की जगह से सगोल लगाना इस देश की पहचान मिटाने के नापाक कोशिश है .
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की नई संसद के शिखर पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने पूजा अर्चना भी की. लेकिन इसकी तस्वीरें सामने आते ही देश में नया बवाल खड़ा हो गया. विपक्ष समेत तमाम विरोधी दल और इतिहासकार भाजपा पर राष्ट्रीय चिह्न को बदलने का आरोप लगा रहे हैं. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक में शेरों की अभिव्यक्ति शांत स्वभाव की है, जबकि नई मूर्ति में शेरों को उग्र दिखाया गया है.
जिसकी कोई माफी नहीं हो सकती जेडीयू मुख्यालय पहुंचे वशिष्ठ नारायण सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में असहमति होते हुए भी सहमति के बिंदु की तलाश होनी चाहिए राष्ट्रपति के हाथों संसद के नए भवन का उद्घाटन नहीं कराना इसी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता है