कौशलेंद्र लोकसभा में नियम-197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रश्न भेजा* आरआरबी-एनटीपीसी के रिजल्ट के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश में छात्रों द्वारा किए जा रहे आन्दोलन और उनके जायज माँग को लेकर नालंदा के मा0लोकसभा सदस्य, श्री कौशलेन्द्र कुमार ने नियम-197 के तहत ध्यानाकर्षण की सूचना देते हुए कहा कि आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती के सीबीटी-1 का रिजल्ट आया है। इसकी पहली परीक्षा वर्ष 2020 में हुई थी।
रिजल्ट में धाँधली और गड़बड़ियों के कारण 3 लाख 80 हजार छात्र इस रिजल्ट से बाहर हो गये। यह आरआरबी के अपनी अधिसूचना के विपरीत है। रिजल्ट में जोन-वाईज कुल पदों की संख्या के 20 गुना अभ्यर्थियो को क्वालीफाई घोषित किया जाना था, किन्तु सभी स्लाटों को आधार मानकर रिजल्ट प्रकाशित हुआ, जिसके कारण वास्तविक संख्या 20 गुना के बजाए महज 5-6 गुना रह गया। इसे लेकर ही उम्मीदवारों में नाराजगी है। यही एक त्रुटि आरआरबी के रिजल्ट में हुआ है,
जिसे मा.मंत्री जी जाँच कराकर ठीक करवा दें, तो लाखों बेरोजगार युवा जो रिजल्ट की गलती के कारण बाहर हो गये हैं, उनको भी मौका मिलेगा। मालुम हो की नालंदा सासंद “कौशलेन्द्र कुमार रेलवे स्टैंडिंग कमिटी के मेंबर भी है जो इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र हित की बात की है।
ये भी पढ़ें :- बिहार: पढ़ाई कर लौट रही कॉलेज छात्रा को युवक ने मारी सरेआम गोली, लोगों ने किया सड़क जाम!
उन्होंने ये भी कहा ही इस तरह की घटना से कोट-कचहरी में मामला उलझ कर हमारे नालंदा-बिहार व देश के छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। इसी प्रकार ग्रुप-डी में नया नोटिफिकेशन पीटी और मेन्स के संदर्भ में किया गया है,
परन्तु पूर्व के नोटिफिकेशन में एक ही एग्जाम का वर्णन था उसी पे विचार कर छात्र हित मे दिशानिर्देशित किया जाए। मा. सांसद महोदय ने अपनी सूचना में कहा है कि युवाओं की माँग उचित है। उन्हें परीक्षा में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।
आरआरबी-एनटीपीसी के रिजल्ट के बाद बिहार व उत्तर प्रदेश के छात्रों ने आंदोलन किया है। सांसद कौशलेंद्र कुमार ने उनकी मांगों को जायज बताया है। कहा कि इस मामले को वे लोकसभा में उठाएंगे। नियम-197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रश्न उन्होंने भेजा है।
परीक्षा के समय दी गयी सूचना को दरकिनार कर परीक्षापरिणाम जारी करने से तीन लाख 80 हजार छात्र इससे बाहर हो गए हैं। यह आरआरबी के अपनी अधिसूचना के विपरीत है। नालंदा सासंद कौशलेन्द्र कुमार रेलवे स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य भी हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए फिर से विचार करने का अनुरोध भी किया है।