हिंदी पत्रकारिता के पर्याय हैं बिहार से पद्मश्री से नवाजे गए सुरेंद्र किशोर

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RABG LIVE NEWS DESK भारत सरकार ने वर्ष 2024 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है बिहार से पद्म श्री पुरस्कार पाने वालों में हिंदी पत्रकारिता में सशक्त हस्ताक्षर छपरा जिले के दरियापुर प्रखंड के सुरेंद्र किशोर जी का नाम भी शामिल है।पत्रकारिता की तरफ उनका झुकाव छात्र-जीवन से ही था I पत्र- पत्रिकाओं में पत्र-लेखन से उनकी पत्रकारिता की शुरुआत हुई थी I फिर एक अपने जिले के स्थानीय समाचार-पत्र ” सारण संदेश ” में रिपोर्टिंग करने लगे ।कुछ दिनों बाद पटना से प्रकाशित साप्ताहिक ” लोकमुख ” में बतौर उप-संपादक जुड़ गए । यह बात आज से 53 साल पहले 1969 की है । इसके संपादक प्रो. देवीदत्त पोद्दार थे, जिन्हें सुरेंद्र किशोर जी पत्रकारिता का अपना पहला गुरु मानते हैं । अगले दो-तीन वर्षों तक कभी गांव तो कभी पटना आते-जाते, लेकिन 1972 में पूरी तरह पटना आ गए ।

हिंदी पत्रकारिता के पर्याय हैं बिहार से पद्मश्री से नवाजे गए सुरेंद्र किशोर
हिंदी पत्रकारिता के पर्याय हैं बिहार से पद्मश्री से नवाजे गए सुरेंद्र किशोर

1972 से लेकर 1975 तक नई दिल्ली से प्रकाशित समाजवादी विचारों की पत्रिका ” प्रतिपक्ष ” के पटना संवाददाता के रूप में जुड़े रहे । साथ में साप्ताहिक ” जनता ” में सहायक संपादक के रूप में भी काम करते रहे । उसके बाद 1977 में वे दैनिक आज से जुड़ गए और 1983 तक वहां उप-संपादक और कार्यालय संवाददाता के रूप में काम करते रहे । आखिरी महीनों में उन्हें वरीय उप -संपादक बना दिया गया । बताते चलें कि पटना से दैनिक आज का प्रकाशन 1979 में शुरू हुआ । पटना में ” आज ” के प्रकाशन से पहले ही उन्होंने बनारस के आज संस्करण के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था ।फिर वे दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक ” जनसत्ता ” से जुड़े और इस तरह वे राष्ट्रीय पत्रकारिता में एक ऐसे धूमकेतु की तरह उभरे, जिसकी रोशनी हर तरह निखरती गई। लेखनी की वो चमक आज भी बरकरार है।

सारण जिले के दरियापुर प्रखंड स्थित सखनौली गांव में किसान परिवार में जन्मे सुरेन्द्र किशोर जी अक्सर कहते हैं कि यदि वे पत्रकार न होते तो गांव में किसानी करते और समय मिलने पर समाज सेवा। सुरेंद्र किशोर जी की पत्नी सरकारी शिक्षिका थी। पटना एम्स के नजदीक कुर्जी मोहम्मदपुर गांव में इन्होंने अपना एक छोटा सा आशियाना बनाया है जहां आज भी अनवरत लेखनी चलाते रहती है देश के कई प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में अभी भी उनके आलेख का पाठकों का पाठकों को इंतजार रहता है। सोशल मीडिया पर भी सुरेंद्र किशोर जी काफी एक्टिव रहते हैं। पत्रकारिता में उनकी ईमानदारी की आज भी मिसाल दी जाती है।

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