RABG LIVE NEWS DESK: हमारे देश में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ । मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है । यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है । पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में । चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठीपर मनाए जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठीपर मनाए जानेवाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है !
आपको बता दें की क्या है छठ पूजा का इतिहास . लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है । लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी ।
त्रेतायुग में भगवान राम जब माता सीता से स्वयंवर करके घर लौटे थे और उनका राज्याभिषेक किया गया, उसके पश्चात उन्होंने पूरे विधान के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पूरे परिवार के साथ यह पूजा की थी; तभी से इस पूजा का महत्त्व है । द्वापरयुग में जब पांडव ने अपना सर्वस्व गंवा दिया था, तब द्रौपदी ने इस व्रत का पालन किया । वर्षों तक इसे नियमित करने पर पांडवों को उनका सर्वस्व वापस मिला था । इसकी पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है ।
लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है । लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी । त्रेतायुग में भगवान राम जब माता सीता से स्वयंवर करके घर लौटे थे और उनका राज्याभिषेक किया गया, उसके पश्चात उन्होंने पूरे विधान के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पूरे परिवार के साथ यह पूजा की थी; तभी से इस पूजा का महत्त्व है । द्वापरयुग में जब पांडव ने अपना सर्वस्व गंवा दिया था, तब द्रौपदी ने इस व्रत का पालन किया । वर्षों तक इसे नियमित करने पर पांडवों को उनका सर्वस्व वापस मिला था । इसकी पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है ।