RABG LIVE NEWS DESK: हाई कोर्ट से सख्ती के बाद शराब के कारोबारियों पर सरकार की नजरें टेढ़ी !
शराबबंदी के मुद्दे पर पटना हाई कोर्ट से फटकार के बाद आखिरकार नीतीश सरकार को अपनी कमियों का हुआ एहसास. जी हां बीते दिनों पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी के मुद्दे पर नीतीश सरकार की कमियों को चुन-चुन कर गिनाया था. कोर्ट ने बताया था कि कैसे सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिहार में शराबबंदी सिर्फ कागजों पर नजर आ रही है.
ऐसे में नीतीश कुमार ने शराबियों से ज्यादा शराब का कारोबार करने वालों पर अपनी नजरें टेढ़ी कर ली है. आपको बता दें कि बिहार में शराब पीनेवालों से ज्यादा सख्ती इसके धंधेबाजों पर होगी. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब की आपूर्ति और बिक्री के खिलाफ अभियान को और तेज करने का निर्देश पुलिस व मद्यनिषेध विभाग को दिया है. शराबबंदी की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शराब के सप्लायर, तस्कर और बेचने वालों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करें.
वहीं मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने समीक्षा बैठक के बाद बताया कि पीनेवालों की अपेक्षा शराब की तस्करी और इसके धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करना और उन्हें सजा दिलाना सरकार की प्राथमिकता होगी. हालांकि उन्होंने यह भी दोहराया कि ऐसा नहीं है कि शराब पीनेवालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी. वहीं आमिर सुबहानी ने साफ कर दिया कि शराबबंदी कानून में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा. इसके साथ ही शराबबंदी कानून के तहत पहली बार पीकर पकड़े लोगों को जुर्माना लेकर छोड़ने के लिए दंडाधिकारी की नियुक्ति अबतक नहीं होने के मामले पर उन्होंने कहा कि यह काम जूडिशियल मजिस्ट्रेट के स्तर पर हो रहा है. उन्होंने कहा कि संशोधन का जो उद्देश्य था वह पूरा हो रहा है. इसके साथ ही मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन का उद्देश्य ही इसके धंधे में लिप्त लोगों को सख्ती करना है.
उन्होंने कहा कि हमने शराब की सप्लाई चेन को ध्वस्त करने पर विशेष ज्यादा ध्यान दिया है. केके पाठक ने कहा कि दोबारा शराब पीनेवालों के साथ धंधे में लिप्त लोगों को सजा दिलाने पर काम हो रहा है. इनके अलावा आईजी मद्यनिषेध अमृत राज ने कहा कि पुलिस शराब के सप्लायर और उसके रिसिवर की पहचान कर गिरफ्तारी कर रही है. उन्होंने कहा कि 90 से ज्यादा शराब सप्लायर विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार किए गए हैं. वहीं बिहार में 60 हजार ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई है. इस तरह हाई कोर्ट से फटकार मिलने के बाद नीतीश सरकार शराबबंदी में जारी खामियों को दूर करने का प्रयास कर रही है. लेकिन बिहार में शराब तस्करों पर पूरी तरह से लगाम लगना कहीं न कहीं सरकार के लिए कड़ी चुनौती है.