क्या आपको पता है कि एक सप्ताह पहले प्रारंभ होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी के मध्यकालीन में कुछ ही सेकेंड के अभिजित मुहूर्त से जुड़ रहा हैं । जी हां, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य और अति शुभ विशेष मुहूर्त केवल 84 सेकेंड का होगा । उसी समय भगवान रामलला की मूर्ति प्राणवान प्रतिष्ठित हो जाएंगी
उसी समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामलला सदा के लिए इस मूर्ति में सदा सदा के लिए जीवंत हो जाएंगे
ठीक वैसे ही ,जैसे करीब 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में मां कौशल्या के गर्भ से अवतरित हुए थे ।
इस अलौकिक दृश्य का आनन्द कुछ हजार श्रद्धालु सामने बैठकर साक्षात लेंगे ।
जबकि अरबों रामभक्त अपने घरों में बैठकर सीधा प्रसारण टीवी पर्दे के माध्यम से भगवान राम को दंडवत प्रणाम करेंगे ।
22 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग ,अमृत सिद्धि योग और रवि योग का अनोखा मिलन हो रहा है।
सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग 22 जनवरी को प्रातः काल 7.14 बजे से अगले दिन 23 जनवरी को सवेरे 4.58 बजे से रहेंगे ।
जबकि रवि योग 22 जनवरी की सुबह/4.58 बजे से अगली सुबह/ 7.13 बजे तक रहेगा ।
तीन योग की दोपहर को 12.29.08 बजे से 12.30.32 बजे तक अति शुभ मुहूर्त में भगवान रामलला जग कल्याण के लिए मूर्ति में साकार हो जाएंगे ।
इस प्राण प्रतिष्ठा के बाद महापूजा और महाआरती का विराट आयोजन किया जाएगा ।
इसी समय देश विदेश के लाखों मंदिरों तथा करोड़ों घरों में शंख , घंटे घरनावल के साथ भगवान रामलला की आरती की जाएगी । ऐसा पहली बार होगा जब निश्चित समय पर सारे देश में एक साथ आनंद का सागर उमड़ पड़ेगा । कुछ समय के लिए मानों समय भी ठहर जाएगा ।
प्रभु राम अपने धाम में विराजमान होने वाले हैं ।
रामायण और रामचरितमानस ने अयोध्या और रामकथा को घट घट में उतार दिया है ।
यहां गीताप्रेस गोरखपुर ,उद्यमी जय दयाल गोयनका स्वनाम धन्य हनुमान प्रसाद पोद्दार और वीतराग रामसुखदास महाराज की चर्चा करना भी जरूरी है । उन्हीं की कृपा का परिणाम है गीता प्रेस का सस्ता साहित्य । गीता प्रेस ने मानस के गुटके को गरीबों की झोपड़ी तक पहुंचा दिया ।