RABG LIVE NEWS DESK: सीमांचल के बाद गोपालगंज में ओवैसी का दबदबा नजर आने से यह साबित हो गया है कि AIMIM का बिहार में भी जनाधार है. वैसे लोग जो सीमांचल में AIMIM की जीत को तुक्का मान रहे थे उनके लिए गोपालगंज चुनाव एक संकेत है कि पार्टी किसी भी राज्य में उलटफेर करने का माद्दा रखती है. हालांकि गोपालगंज में ओवैसी की पार्टी को रोकने के लिए हर वो खेल खेला गया जो स्वस्थ राजनीति में नजर नहीं आता पर ओवैसी इससे हार नहीं माने. जैसे की पहले AIMIM उम्मीदवार से पार्टी का परंपरागत सिंबल छीनकर चारपाई चुनाव चिन्ह दिया गया पर गोपालगंज में राजद खुद चारपाई पर आ गई.
इसके अलावा AIMIM उम्मदवार अब्दुल सलाम को आचार संहिता उल्लंघन मामले में भी घसीटा गया लेकिन इसका मुस्लिमों पर प्रतिकूल असर हुआ और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुलकर अब्दुल सलाम का साथ दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि राजद को दिन में भी तारे नजर आने लगे. हालांकि गोपालगंज में ओवैसी की पार्टी की एंट्री से ही यह साफ हो गया था कि क्षेत्र में राजद को झटका लगने वाला है और इसका एहसास राजद को भी था तभी पार्टी के तरफ से आरोप लगाया गया कि ओवैसी की पार्टी भाजपा की बी टीम है हालांकि ओवैसी ने इस पर तुरत पलटवार किया ताकि जनता के अंदर कोई दुविधा नहीं रहे. वैसे भी ओवैसी की पार्टी ने पहली बार गोपालगंज में कदम रखा था और जनता ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया.
जाहिर सी बात है कि ओवैसी की पार्टी ने जिस तरह से महागठबंधन के परंपरागत वोटरों में सेंध लगाया है उससे राजद और कांग्रेस हताश है. वैसे भी ओवैसी चुनावों से पहले यह कह चुके थे कि राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है लेकिन अब वक्त बदल चुका है. अब मुस्लिम भी राजनीतिक पार्टियों के झांसे में आने के लिए तैयार नहीं हैं. जिसका असर चुनावों में देखने को मिला.
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि महागठबंधन और NDA के तरफ से जहां बड़े बड़े नेता चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दूसरी ओर ओवैसी ने गोपालगंज में चुनाव प्रचार भी नहीं किया. यानी कि अगर ओवैसी गोपालगंज में चुनाव प्रचार कर देते तो स्थिति कुछ और हो सकती थी. इस तरह बिना ओवैसी के चुनाव प्रचार के और बिना पार्टी के परंपरागत सिंबल के AIMIM उम्मीदवार का प्रदर्शन काबिले तारीफ है