RABG LIVE NEWS DESK: समाजवादी पार्टी और आजम खान के गढ़ में भाजपा ने लगाई सेंध. जी हां समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आज़म खान के गढ़ में बीजेपी ने कमल खिला दिया है. बीजेपी के आकाश सक्सेना ने रामपुर शहर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर ली है. बीजेपी प्रत्याशी ने 33702 वोटों से ये जीत दर्ज की है. आपको बता दें कि रामपुर विधानसभा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव हुआ. पहली बार उपचुनाव 2019 में हुआ था. उस वक्त आजम खान ने विधायक रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी.
चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इस सीट पर जब उपचुनाव हुआ था, जिसमें आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फात्मा ने जीत हासिल की थी. वैसे पिछले 70 साल से इस सीट पर कोई हिंदू प्रत्याशी नहीं जीता है. 1952 से लेकर साल 2022 तक इस पर मुस्लिम उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. बता दें कि सपा नेता आजम खान रामपुर सीट से 10 बार विधायक चुने गए हैं. वहीं यूपी में रामपुर एक ऐसी सीट है, जहां से भाजपा ने आजतक जीत दर्ज नहीं की थी. लेकिन इस बार रामपुर का इतिहास बदल गया और उपचुनावों में भाजपा ने आजम खान के गढ़ में कमल खिला दिया है. वैसे आजम खान की लगातार जीत का एक कारण रामपुर का मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होना भी माना जाता है. बता दें कि रामपुर सीट की आबादी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 60 फ़ीसदी है. वहीं हिंदू मतदाताओं की संख्या लगभग 40 फ़ीसदी है.
यहां दलित, वैश्य, कायस्थ और ब्राह्मण मतदाता भी मौजूद हैं. शायद यही कारण है कि इस सीट पर हमेशा मुसलमान उम्मीदवार ही जीतते आए हैं. लेकिन फिलहाल अब आजम खान और सपा का तिलिस्म टूट गया है. बात दें कि भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने के बाद आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद हुई तो यहां उपचुनाव हुए. जिसमें भाजपा ने आकाश सक्सेना को प्रत्याशी बनाया. वह इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी थे, लेकिन उस समय हार गए थे….लेकिन उपचुनाव में वह भाजपा का कमल खिलाने में सफल रहे. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया. वह आजम खां के करीबी हैं.
इसी साल हुए लोकसभा उपचुनाव में भी वह सपा प्रत्याशी रहे थे, लेकिन उस चुनाव में भी हार गए थे और इसमें भी हार गए. आजम खां ने उन्हें चुनाव जिताने के लिए लगातार जनसभाएं भी कीं. इस तरह इतिहास में पहली बार भाजपा रामपुर में जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी है. जाहिर सी बात है कि इसे योगी आदित्यनाथ का प्रभुत्व ही कहा जा सकता है कि पार्टी आजम खान का किला ढहाने में कामयाब हो सकी है.