RABG LIVE NEWS DESK :मायावती ने लोकसभा चुनावों के लिए चली ऐसी चाल जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों परेशान नजर आ रहे हैं. दरअसल फिलहाल मायावती के बयानों से तो नहीं लग रहा कि वो विपक्षी खेमे की ताक़त बनेंगी. आपको बता दें कि कांग्रेस दिग्गज राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के बाद बसपा को छोड़कर देश-भर के भाजपा विरोधी दल एकजुट होने के संकेत देने लगे हैं. इस मामले के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती का भी बयान आया लेकिन उनका ये बयान राहुल के समर्थन या भाजपा पर हमलावर होने के बजाए उल्टा कांग्रेस को ही घेरने वाला था. यानी कि जब देश के विपक्षी केंद्र सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने और तानाशाही के आरोप लगा रहे हैं, ऐसे में मायावती कांग्रेस पर हमलावर हुईं . इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को इमरजेंसी की याद दिलाई. दूसरी तरफ एक-एक कर सभी विपक्षी लामबंद होते दिखाई दे रहे हैं. स्थिति यह है कि जिनका कांग्रेस से छत्तिस का आंकड़ा है वे दल भी अब समर्थन में नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी
और कांग्रेस के बीच शुरू से ही कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. यह आम आदमी पार्टी ही है जिसने दिल्ली और ल पंजाब में कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त कर दिया. फिर गुजरात में भी कांग्रेस का जनाधार छीनने की सिलसिला शुरू कर दिया. वहीं दोनों दलों में कटुता इतनी ज्यादा है की कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को सही ठहराया था. साथ ही कांग्रेस ने हमेशा आम आदमी पार्टी को भाजपा की बी टीम कहा. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी मामले पर भाजपा पर सबसे अधिक हमलावर हुए. उन्होंने मोदी सरकार की कटु निंदा करते हुए राहुल गांधी का समर्थन किया. इसी तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो कल तक कांग्रेस से दूरी बना रहे थे वो भी कांग्रेस के नजदीक नजर आने लगे. जिसको देखकर ऐसा लग रहा है कि विपक्षी एकता का सिलसिला रफ्तार पकड़ रहा है लेकिन ये जरूरी नहीं कि लोकसभा चुनाव से पहले एकता बन ही पाए. राजनीतिक जानकारों के अनुसार सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है. यानी कि ताज्जुब नहीं होगा कि भाजपा के खिलाफ एकजुटता बने ही नहीं. या ये भी संभव है कि ना.. ना… करके मायावती भी विपक्षी खेमें में शामिल हो जाएं. यदि ऐसा हुआ तो महागठबंधन और बसपा दोनों को लाभ हो सकता है. चूंकि मायावती दलित समाज की सबसे बड़ी नेत्री हैं और दलित समाज का समर्थन हासिल करना विपक्षी महागठबंधन का बड़ा लक्ष्य होगा. ऐसे में बसपा सुप्रीमो को महागठबंधन में यूपी सहित अन्य राज्यों में भी खूब सीटें भी मिल सकती हैं और उनकी अहमियत भी बढ़ सकती है. इस तरह लोगों को मायावती के अगले कदम का इंतजार रहेगा.