राजनीति का राज और नीति आज तक बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी नहीं समझ पाए हैं. शायद यही वजह है कि देश और प्रदेश में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम पर लोगों की नजरें गड़ी रहती है. यहां कौन कब दोस्त बन जाये कब विरोधी, कोई नहीं जानता. यही कारण है कि जब जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर राजद के साथ महागठबंधन बनाया तो राजनीति जगत के साथ-साथ पूरे देश में खलबली मच गई. लेकिन इस वक़्त जो खबरें सुनने को मिल रही है अगर वह घटित हो गया तो फिर राजनीति जगत में तहलका मच जायेगा. दरअसल बिहार में भले ही जदयू और राजद के बीच का रिश्ता सामान्य नहीं लग रहा हो पर अब कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों का विलय होने वाला है. खबरों के अनुसार बिहार की कमान तेजस्वी यादव के हाथ मे आ सकती है और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे. सूत्रों के अनुसार दोनों दलों में भी इसकी चर्चा हुई है और संभावना जताई जा रही है कि 2023 में इसकी घोषणा होगी,
लेकिन सीनियर लीडरशिप ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. दोनों पार्टियों के SOURCE बता रहे हैं कि राजद और जदयू दोनों ही नए बदलाव के लिए तैयार है और दोनों दलों की तरफ से इसकी तैयारी शुरू भी हो गई है. खबरों के अनुसार कुछ बिंदुओं पर अभी सहमति बननी बाकी है. ऐसे में इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में दोनों दल एक हो सकते हैं. वैसे इस बात की चर्चा तब शुरू हुई जब RJD नेता भोला यादव ने राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में यह प्रस्ताव रखा कि RJD के निशान, झंडा और तमाम चीजों में बदलाव होगा तो वो तेजस्वी यादव या लालू यादव करेंगे. यहां गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर जो पार्टी स्थायी तौर पर रहती है, उनके राजनीतिक प्रस्ताव में इस बात की चर्चा नहीं होती है, लेकिन यह चर्चा राजनीतिक प्रस्ताव में हुई तो इस बात को बल मिला कि JDU और RJD एक साथ आ सकते हैं, जिसमें दोनों दलों के नाम और निशान समाप्त कर दिए जाएंगे और एक नया दल बनेगा, जिसमें सभी नेता शामिल हो सकते हैं. इससे कई नेताओं को भी सहूलियत होगी, जिन्हें अभी के राजद या जदयू से परहेज है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार नए नाम और निशान के साथ नई पार्टी का फेस अधिक मजबूत साबित हो सकता है और हो सकता है कि पुराने जनता दल का एक बार फिर उदय हो जाए. वैसे भी जनता दल टूट कर ही राजद और जदयू बना था. ऐसे में अब एक बार फिर दोनों दल आपस में मिलेंगे तो जनता दल जैसी ही तस्वीर बनेगी. वैसे भी अगर राजद और जदयू के विलय का धुंआ उठ रहा है तो इसकी चिंगारी कहीं न कहीं जरूर लगी होगी. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद और जदयू का विलय होता है या नहीं.