RABG LIVE NEWS DESK: भाजपा के चाणक्य ने गुजरात में क्लीन स्वीप के लिए रचा चक्रव्यूह. जी हां अगर राजनीति में रणनीतिकार की बात हो तो अमित शाह का नाम उसमें सबसे ऊपर आएगा क्योंकि उनकी रणनीति का तोड़ निकालना विरोधियों के लिए मुश्किल रहता है. तभी तो लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मोदी ने कहा था कि इस बड़ी जीत का मैन ऑफ दी मैच अमित शाह हैं. वैसे इस वक़्त गुजरात में चुनावी सरगर्मी चरम पर है इसलिए अमित शाह ने वहां एक बार फिर भगवा लहराने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया है.
गुजरात विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने मिशन गुजरात को पूरा करने के लिए मिशन गांधीनगर बनाया है. इसमें उन्होंने अपनी लोकसभा सीट यानी गांधीनगर में सभी सात सीटें जीतने का टारगेट रखा है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, इस बार गृहमंत्री अमित शाह खुद अपने लोकसभा चुनाव क्षेत्र गांधीनगर के तहत आने वाली 7 विधानसभा सीट में से 7 सीट जीत का टारगेट रख रहे हैं. पिछले यानी साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने इन सात में से पांच सीटें जीती थी. वहीं दो सीट कांग्रेस के हिस्से में थी. यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां नेताओं को लेकर यह आरोप लगते रहते हैं कि वे चुनाव जितने के बाद अपने क्षेत्र को भी भूल जाते हैं तो दूसरी ओर 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह खुद अपनी लोकसभा सीट पर हर 15 दिनों में एक बार आए हैं. इस दौरान यहां पर अलग अलग विकास के कार्यों का भूमी पूजन से लेकर लोकार्पण भी खुद ही किया है. अमित शाह के नजदीकी लोगों का कहना है कि वे लगातार पिछले लंबे वक्त से गांधीनगर नोर्थ और कोलल की विधानसभा सीट पर ज्यादा ध्यान केन्द्रीत कर रहे हैं, क्योंकि अमित शाह ये मानते हैं कि लोकसभा में उनकी जीत तब पूरी कही जाएगी जब इस लोकसभा सीट में आने वाली सभी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत हो. हाल ही में गुजरात दौरे पर आए अमित शाह ने पूरे चार दिन अपने लोकसभा क्षेत्र में बिताए थे.
यही नहीं खुद देर रात तक वह अपनी लोकसभा में आने वाले सभी विधानसभा सीट के बीजेपी नेताओं के साथ बातचीत करते रहे. जैसे अगर कोई टिकट ना मिलने से नाराज था तो उनको आमने-सामने बैठाकर भी बात की और मनाने की कोशिश की. अमित शाह के संसदीय क्षेत्र वाले इलाके से ही सीएम भूपेंद्र पटेल भी चुनावी मैदान में हैं. वह धाटलोडिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में उनके नॉमिनेशन के वक्त शाह भी मौजूद रहे. ऐसे ही दूसरी सीट साणंद जहां पर विधायक कनु पटेल के इस बार चुनाव में जीत की संभावना स्थानीय किसानों के विरोध के चलते कम थी, वहां भी शाह खुद नॉमिनेशन दाखिल करवाने गए. स्थानीय नेताओं से अमित शाह ने खुद बात भी की थी ताकि उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हो पाए. यानी कि अमित शाह गुजरात में कमल खिलाने के लिए हर रूठे को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. जाहिर सी बात है कि उनकी रणनीति गुजरात में सिर्फ जीत की नहीं बल्कि बड़ी जीत की है. ऐसे में 8 दिसंबर को यह साफ होगा कि अमित शाह अपनी रणनीति में कितना सफल हुए.