RABG LIVE NEWS DESK: बिहार में 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में भले ही भाजपा और राजद एक-एक सीट पर विजयी हो गई हो लेकिन जिस तरह से गोपालगंज में राजद को हार मिली है उसकी कसक पार्टी नेताओं को लंबे समय तक रहेगी. खासकर जितने कम अंतर से राजद उम्मीदवार को हार मिली है इसके लिए भले ही पार्टी नेताओं के द्वारा ओवैसी और साधु यादव को जिम्मेदार बताया जाए.
लेकिन कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसके लिए नीतीश कुमार भी जिम्मेदार हैं. दरअसल यह शुरू से ही चर्चा का विषय बना हुआ था कि नीतीश कुमार गोपालगंज और मोकामा में चुनावी रैली करेंगे या नहीं. हालांकि मोकामा में अनंत सिंह का दबदबा है इसलिए नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी से वहां कोई खास अंतर नहीं पड़ने वाला था. लेकिन जहां तक बात गोपालगंज की है तो वहां पर नीतीश कुमार का दौरा नहीं करना राजद को गहरी चोट दे गया है. गौरतलब है कि गोपालगंज में राजद को 2000 से भी कम वोटों से मात मिली है. ऐसे में नीतीश कुमार क्षेत्र का दौरा करते तो निश्चित रूप से राजद के हिस्से में इतने वोट आ सकते थे की गोपालगंज में पार्टी विजयी हो जाती.
हालांकि पार्टी के बड़े नेता नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन राजद के कई नेता और कार्यकर्ता यह बोलने से नहीं चूक रहे हैं कि नीतीश कुमार ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया और उन्होंने क्षेत्र में चुनावी जनसभा नहीं करके एक तरह से भाजपा को मजबूत करने का काम किया है. वैसे भी बिहार में नीतीश कुमार का कितना बड़ा जनाधार है यह बताने की आवश्यकता नहीं है. लगभग 2 दशकों से नीतीश कुमार बिहार में शासन कर रहे हैं. ऐसे में आलोचकों के अनुसार उनके समर्थक उनके अंदर के भावों को अच्छी तरह समझ लेते हैं.
शायद यही वजह है कि जब नीतीश कुमार ने गोपालगंज का दौरा नहीं किया तो नीतीश कुमार के समर्थकों के अंदर ऐसी छवि बनी कि शायद उनके नेता यह नहीं चाहते हैं कि गोपालगंज में राजद जीते क्योंकि दोनों सीटों पर राजद की जीत होने से बिहार में राजद काफी ज्यादा मजबूत हो जाती. हालांकि नीतीश कुमार ने वीडियो संदेश जारी किया लेकिन वह शायद नीतीश समर्थकों को रिझाने के लिए काफी नहीं था. इस तरह गोपालगंज में मिली हार की कसक और नीतीश कुमार का चुनाव प्रचार नहीं करना राजद नेताओं को लंबे समय तक चुभते रहेगा.