RABG LIVE NEWS DESK : बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव कर राज्य की राजनीति को गरम कर दिया है. जी हां अब वह दिन लद गये कि बीएड या डीएलएड करके CTET या BTET पास कर लिए….. तो आपके शिक्षक बनने के रास्ते खुल गए. जिसकी वजह से राज्य की राजनीति एक बार फिर गरम हो गयी है. आपको बता दें कि राज्य सरकार अब खुद आयोग के जरिये शिक्षकों की नियुक्ति करेगी
![नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के खिलाफ भड़का शिक्षकों और अभ्यर्थियों का गुस्सा !](https://rabglive.com/wp-content/uploads/2023/04/CTET-BTET-300x171.jpg)
और शिक्षक राज्य के कर्मचारी होंगे. यानि अब नियोजन पर नियुक्ति नहीं होगी बल्कि नियमित बहाली होगी. सबसे बड़ी बात ये है कि अब मार्क्स के आधार पर नियुक्ति नहीं होगी बल्कि परीक्षा लेकर शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी. इसके साथ ही परीक्षा हेतु पाठ्यक्रम का निर्धारण आयोग द्वारा प्रशासी विभाग के परामर्श से किया जाएगा. वहीं निर्धारित पाठ्यक्रम के आलोक में परीक्षा का आयोजन, प्रश्न पत्रों का निर्धारण, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन तथा परीक्षाफल का प्रकाशन आयोग द्वारा किया जाएगा. यानी कि नीतीश सरकार ने पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शिक्षक बहाली प्रक्रिया के लिए जो नियम बनाया था
![नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के खिलाफ भड़का शिक्षकों और अभ्यर्थियों का गुस्सा !](https://rabglive.com/wp-content/uploads/2023/04/CTETT-300x200.jpeg)
उसमें लगभग दो दशकों के बाद सबसे बड़ा बदलाव हुआ है. ऐसे में सरकार के इस कदम का कई राजनीतिक दलों और टीईटी-एसटीईटी पास अभ्यर्थियों ने विरोध किया है ! आपको बता दें कि RJD कार्यालय के बाहर तमाम शिक्षक अभ्यर्थी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी CM तेजस्वी यादव के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाते नजर आये. वहीं इसके विरोध में शिक्षक संगठनों में ब्लैक डे मनाया दरअसल, शिक्षक संगठनों द्वारा इस नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को लेकर कहना है कि, यह शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी दोनों के लिए छलावा है. उन्होंने कहा कि हागठबंधन की सरकार ने विधानसभा चुनाव के वक्त वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तरह वेतनमान और सेवा शर्त देगी और आज जब वह सत्ता में आयी है, तो अपने वादे से मुकर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार नहीं मानी, तो बिहार के लाखों शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे और आगे की रणनीति के लिए 16 अप्रैल को पटना में सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलायी गयी है.
देखें तो देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में महागठबंधन की सरकार ने शिक्षक नियुक्ति की वर्षों पुरानी प्रक्रिया में बदलाव कर कहीं न कहीं बड़ा रिस्क भी लिया है क्योंकि कहीं न कहीं यह सरकार को भी एहसास था कि इस नियमावली पर लोगों का क्या रिएक्शन होगा. देखें तो भाजपा भी इस मौके को भुनाने से पीछे नहीं हटेगी. वैसे भी भाजपा को बैठे-बैठाये एक मुद्दा मिल गया और पार्टी इसको चुनावों में महागठबंधन के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करेगी. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनावों में नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का क्या असर देखने को मिलता है.