लोकतंत्र के दबे आवाज़ के वाहक है पत्रकारिता-अविनाश देव

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डाल्टेनगंज-(26फरवरी,रविवार) पत्रकारिता को लोकतंत्र के चौथा खम्भा कहा जाता है जिस पर समाज संतुलित रहता है। वर्तमान दौर में हिंदुस्तान की सरजमीं पर जिस तरह से बेलगाम पूंजी उथल पुथल मचाये हुए है यहां के आवाम त्राहिमाम कर रहा है तो स्वाभाविक है ग़रीब के आवाज मीडिया खतरे में होगा और उसके सामने चुनौतीयां भी होगी। चुनौतियां ये है कि कॉरपोरेट गरीबों के आवाज़ ख़रीदने पर आमादा है और खरीद रहा है।

सरकार की यारी पूंजीपतियों से है बढ़ रही है। कुछ पत्रकार चंद पूंजी पद शौहरत के लालच में गोदी में खेल रहे हैं कुछ पद पर लात मार रहे हैं। अब पत्रकारों को तय करना है की हम जनता के आवाज बने या सरकार के चापलूस। एक तरफ पैसा है एक तरफ सम्मान । जनता के स्वार्थ में निःस्वार्थ पत्रकारिता का हस्र अपनी जान की कीमत पर टिकी है।

आज गुरु तेगबहादुर मेमोरियल हॉल में “वर्तमान पत्रकारिता एवं चुनौतियां “विषय पर सेमीनार को बतौर विशिष्ट अतिथि मुख्य अतिथि पलामू एस पी चंदन सिन्हा के साथ सामुहिक रूप से दिप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किये। अल्पावधि में उपरोक्त बातों से पत्रकार बंधुओं को संबोधित किये। मेरा गुजारिश होगा पत्रकारों से की आप शोषित वंचित दबे कुचलों के दबे आवाज को बाहर और बहरों के बीच नहीं पहुंचाएंगे तब सरकार निरंकुश और लोकतंत्र ख़तरे में हो जायेगा। किसी भी कीमत पर लाख चुनौती के बावजूद निष्पक्ष पत्रकारिता को बनाये रखें।शुक्रिया!!

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