RABG LIVE NEWS DESK: देश में लगभग सभी पार्टियां विरोधियों से लड़ती है लेकिन कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसके अंदर का अंतर्कलह कभी समाप्त ही नहीं होता. जैसा कि हम जानते हैं कि बीते दिनों पंजाब में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्दू के बीच में लड़ाई हुई जिसका नुकसान पार्टी को सत्ता गंवाकर चुकाना पड़ा. कुछ ऐसा ही काम मध्यप्रदेश में भी हुआ जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा खोला और कमलनाथ की सरकार गिर गयी. कर्नाटक में भी कांग्रेस के नेता बागी हुए और पार्टी के हाथों से सत्ता चली गयी.
इस सभी घटनाओं में एक बात कॉमन है कि कांग्रेस के आलाकमान मामले को संभालने को नाकाम रहे और कांग्रेस पार्टी के अंदर उठते विद्रोह को संभाल लेती तो अभी कांग्रेस कई राज्यों में सत्ता में हो सकती थी. कुछ ऐसा ही नजारा अब राजस्थान में देखने को मिल रहा है. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच चल रही खींचतान खत्म होने के बजाय बढ़ रही है. सचिन पायलट समर्थकों ने राहुल गांधी की राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश करने से पहले गहलोत सहित अन्य मुद्दों पर निर्णय करने को लेकर कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बढ़ाना प्रारंभ कर दिया है.
पायलट खेमा चाहता है कि सीएम बदलने के साथ ही 25 सितंबर को कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई बैठक में गहलोत समर्थक विधायकों के शामिल नहीं होने और इनके द्वारा समानांतर बैठक कर के विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे देने को लेकर जिन तीन नेताओं पर आरोप लगे हैं, उन्हें सरकार से बर्खास्त किया जाए. दरअसल, कांग्रेस के राष्टीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन इस बैठक में पर्यवेक्षक के तौर पर पहुंचे थे. बैठक में सीएम सहित सभी निर्णय सोनिया पर छोड़े जाने को लेकर एक लाइन का प्रस्ताव पारित होना था, लेकिन गहलोत खेमे के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने विधायक दल की अधिकारिक बैठक के समानांतर बैठक कर विधायकों के इस्तीफे दिलवाए थे. आलाकमान ने इसे अनुशासनहीनता माना था.
लेकिन अब तक तीनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं अब सचिन पायलट के विश्वस्त प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव सुरेश मिश्रा ने अपने खून से खड़गे को पत्र लिखकर राजस्थान में अनिर्णय की स्थिति को समाप्त करने की मांग की है. उन्होंने चिट्ठी में यह भी लिखा कि इसी कारण अजय माकन ने इस्तीफा दिया. जाहिर सी बात है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अब खींचतान बढ़ गयी है और अगर कांग्रेस ने इस पर जल्द ही कोई एक्शन नहीं लिया तो फिर जानकारों के अनुसार मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब जैसी स्थिति राजस्थान में भी उत्पन्न हो सकती है.