RABG LIVE DESK: नीतीश कुमार के राज्य में वरिष्ठ नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित कराने के लिए वरिष्ठ नागरिक अधिकार अधिनियम का प्रावधान किया है. लेकिन, सुशासन राज में उनके अधिकारीयों पर कानून के क्रियान्वयन और वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को समयबद्ध निपटान न करने का आरोप लगा है. यहां तक कि कानून इसको गंभीरता से नहीं ले रहा है
सुशासन राज में अफसरशाही का यह खेल भी सीएम नीतीश के नाक के नीचे पटना में होने की शिकायत हुई है. मामला पटना के गर्दनीबाग थानाक्षेत्र के पंजाबी कॉलोनी, चितकोहरा का है. 65 वर्षीय सुरजीत कौर ने वर्ष 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पुत्र सोनू सिंह उन्हें प्रताड़ित करते हैं. सुरजीत कौर के हिस्से की पांच दुकानों का किराया भी जबरन वसूलते हैं. इसका विरोध करने पर वे माँ सुरजीत कौर के साथ गाली-गलौज और अन्य प्रकार से प्रताड़ित करते हैं.
दो बेटे और तीन बेटियों की माँ सुरजीत का कहना है जिन पांच दुकानों से सोनू जबरन किराया वसूलता है वह उनके हिस्से में है. इसे लेकर 23 दिसम्बर 2020 को पटना साहिब गुरुद्वारा के प्रमुख पदाधिकारियों और अन्य की उपस्थिति में पंचायत भी हुई. उसमे सोनू पर लगे आरोपों को पंचों ने सही पाया लेकिन सोनू अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. बाद में इसे लेकर सुरजीत ने पटना सदर अनुमंडलाधिकारी के यहाँ वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 एवं बिहार सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली 2012 के मुख्य प्रावधान के तहत शिकायत की.
सुरजीत का कहना है कि सम्बन्धित प्राधिकार ने बिना उनकी शिकायतों पर गौर किये मामले को रफा दफा कर दिया. इससे परेशान सुरजीत ने न्यायालय समाहर्ता सह जिला दंडाधिकारी पटना के यहाँ शिकायत की. जिलाधिकारी पटना ने शिकायत को सही मानते हुए 13 नवम्बर 2021 के अपने आदेश में कहा कि सुरजीत कौर बनाम सोनू सिंह वगैरह में 18 सितंबर 2021 को बिना गुण दोष के वाद की कार्यवाही समाप्त कर दिया गया है. यह विधि सम्मत नहीं है. साथ ही तथ्यात्मक आदेश पारित नहीं किया गया है जो विधि के अनुकूल न्यायोचित नहीं है. जिलाधिकारी ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही निचले प्राधिकार को नियमावली के तहत कार्यवाही करने का आदेश दिया.
हालाँकि सुरजीत का कहना है कि सम्बन्धित प्राधिकार फिर से टालमटोल रवैया अपनाये है. यहाँ तक कि उन्हें धमकी भरे अंदाज में कहा गया कि उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा. ऐसा आदेश दे दिया जाएगा कि जिलाधिकारी भी उसके आलोक में कुछ नहीं करेंगे. अफसरशाही के इस रवैये से परेशान सुरजीत अब सरकार से बार बार गुहार लगा रही हैं उनके हक अधिकार की लड़ाई में उन्हें न्याय दिलाया जाए. वरिष्ठ नागरिकों की जिस गरिमा को ध्यान में रखकर नीतीश सरकार ने कई प्रावधान किए हैं उसे वास्तविक अर्थों में सफलीभूत बनाया जाए.