बीएन मंडल जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री भी पहुंचे

MUST READ

7Slots Canlı Casino Oyna — Casino sitesii

7Slots Casino, oyuncularının keyfini çıkarabileceği çok sayıda oyuna sahiptir. İster online casino oyunları, video poker, bakara veya blackjack gibi kart oyunları oynamayı seviyor olun,...

 

RABG LIVE NEWS DESK पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में स्वर्गीय भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाई गई सौसर पर बिहार के राज्यपाल मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री तथा मंत्रिमंडल के सभी सदस्य मौजूद थे।बिहार के पहले सोशलिस्ट विधायक (1957), 1962 में बिहार के सहरसा से चुनकर लोकसभा पहुंचने वाले प्रखर सांसद व सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (1959) रहे बी. एन. मंडल (1 फरवरी 1904 – 29 मई 1975) की आज 120वीं जयन्ती है।

आज की व्यक्तिवादी राजनीति, जहां दल और नेता प्रायः एक-दूसरे के पर्याय हो गए हैं; बी.एन. मंडल द्वारा राज्यसभा में 1969 में दिया गया भाषण बरबस याद आता है :

“जनतंत्र में अगर कोई पार्टी या व्यक्ति यह समझे कि वह ही जबतक शासन में रहेगा, तब तक संसार में उजाला रहेगा, वह गया तो सारे संसार में अंधेरा हो जाएगा, इस ढंग की मनोवृत्ति रखने वाला, चाहे कोई व्यक्ति हो या पार्टी, वह देश को रसातल में पहुंचाएगा। … हिंदुस्तान में (सत्ता से) चिपके रहने की एक आदत पड़ गयी है, मनोवृत्ति बन गई है। उसी ने देश के वातावरण को विषाक्त कर दिया है”

बीएन मंडल जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री भी पहुंचे
बीएन मंडल जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री भी पहुंचे

जब 1957 में सोशलिस्ट पार्टी के इकलौते विधायक के रूप में बी एन मंडल विधानसभा पहुंचे, तो आर्यावर्त ने फ्रंट पेज पर एक कार्टून छापा, जिसमें एक बड़ा अंडा दिखाते हुए अख़बार ने लिखा कि सोशलिस्ट पार्टी ने एक अंडा दिया है।

1952 के पहले विधानसभा चुनाव में बी. एन. मंडल कांग्रेस उम्मीदवार व संबंध में भाई लगने वाले बी.पी. मंडल (जो बाद में मंडल कमीशन के चेयरमैन बने) से मधेपुरा सीट से 666 मतों के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। पर, अगले चुनाव में उन्होंने बी पी मंडल को हरा दिया। 1962 के लोकसभा चुनाव में सहरसा सीट से कांग्रेस के ललित नारायण मिश्रा को शिक़स्त देकर उन्होंने जीत हासिल की, पर 1964 में वह चुनाव रद्द कर दिया गया।

वे दो बार राज्यसभा (1966 और 1972) के लिए चुने गए।

स्वतंत्रता के पहले 1930 में वे त्रिवेणी संघ से जुड़े, टीएनजे (अब टीएनबी) कॉलिज भागलपुर से इंटरमीडिएट व ग्रैजुएशन करने के बाद पटना वि.वि. से वकालत की पढ़ाई की। 13 अगस्त 42 को मधेपुरा कचहरी पर युनियन जैक उतारकर हिंदुस्तान का राष्ट्रीय झंडा फहराने वाले जांबाज लोगों का नेतृत्व किया। वकालत का लाइसेंस जलाकर अपने 12 वर्ष के पेशे को हमेशा के लिए छोड़कर “भारत छोड़ो आंदोलन” में कूद पड़े।

1954 में जेपी के सक्रिय सियासत से संन्यास लेने और पहले आमचुनाव के कुछ वर्षों बाद जब सोशलिस्ट पार्टी दो धड़ों – प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी में बंटी,तो लोहिया के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी में मधु लिमये, मामा बालेश्वर दयाल, बद्री विशाल पित्ति, पी.वी. राजू, जॉर्ज फर्णांडिस, इन्दुमति केलकर, रामसेवक यादव, राजनारायण, मृणाल गोड़े, सरस्वती अम्बले, मनीराम बागड़ी व भूपेन्द्र नारायण मंडल जैसे नेता थे।

बीएन मंडल जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री भी पहुंचे
बीएन मंडल जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री भी पहुंचे

सोशलिस्ट पार्टी के चेयरमैन की हैसियत से चिनमलई, मद्रास में आयोजित चौथे वार्षिक सम्मेलन (29-31 दिसंबर 1959) में उनके द्वारा दिया गया भाषण क़ाबिले-ज़िक्र है, जिसमें उन्होंने वैश्विक हलचलों, साम्यवाद की स्थिति, देश के सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक-सांस्कृतिक हालात पर विशद चर्चा की :

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,586FollowersFollow
3,912FollowersFollow
19,600SubscribersSubscribe

Latest posts