ट्रिपल ट्रेन हादसा इतना गहरा कि कोई अचानक चीखने लगता है, कोई हंसने , तो कुछ फूट-फूटकर रोते हैं

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RABG LIVE NEWS DESK: कोई नींद में चौक कर उठ जाता है कोई अनायास ही चिकने लगता है, तो कुछ लोग हंसने लगते हैं । कुछ फूट-फूट कर रोने लगते हैं कुछ की नींद ही गायब है। यह हाल है ओडिशा के बहानगा रेलवे स्टेशन के पास हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे में घायल हुए कुछ यात्रियों की । यह घायल यात्री ओडिशा के कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है। दरसल, यह लोग पोस्ट टार्मैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी ) के शिकार हो गए हैं।

क्या है पीटीएसडी ? पोस्ट मै स्ट्रेस टामैट्रिक डिसऑर्डर किसी ऐसी भयानक घटना की वजह से पैदा होती है ,जिसे खुद अनुभव किया हो । इनमें सड़क या रेल हादसे के अलावा ऊंचाई से गिरना , भीड़ में खो जाना या कहीं फस जाना जैसी परिस्थिति शामिल में शामिल है । इसके लक्षणों में फ्लैशबैक, घटना से जुड़े सपने आना , हाई एंजायटी लेबल और लगातार घटना के बारे में सोचना शामिल है । इसमें सामान्य जीवन मुश्किल हो जाता है। मनोवैज्ञानिक के मुताबिक इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है

2 जून को कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में 288 की मौत हुई थी । 1200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे ,इनमें से 105 घायल यात्रियों को कटक स्थिति एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था । उनमें से 40 लोग इसी समस्या की चपेट में है । अस्पताल के क्लिनिकल साइकोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ यशवंत महापात्र ने बताया कि घायल यात्रियों के मन में डर गहरे बैठ गया है । उन्हें गहरा सदमा लगा है । उनको स्वाभाविक स्थिति में लौटाने का प्रयास किया जा रहा है । ऐसे हादसों में बचने वाले लोगों के दिमाग पर असर पड़ना स्वाभाविक है ।

ऐसे घायलों के मन में गहरे दबे आतंक को निकालने के लिए उनकी काउंसलिंग के लिए 4 टीम गठित की गई है । ऐसी हर टीम में एक मनोचिकित्सक और एक मनोवैज्ञानिक के अलावा एक सामाजिक कार्यकर्ता और घायलों के एक या दो परिजनों को शामिल किया गया है ।
आपको बताते चलें कि दूसरी और कई शवो की शिनाख्त गंभीर चुनौती बनता जा रहा है । इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है । बाएं हाथ के अंगूठे का छाप लेकर आधार कार्ड से शिनाख्त की कोशिश से अब तक 40 मृतकों के नाम पते हासिल करने में कामयाबी मिली है।

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