संजीव कुमार बिट्टू
नालंदा
राजगीर (नालन्दा/बिहार)पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को उत्तम शौच धर्म की आराधना भक्तिमय वातावरण में राजगीर के सभी जैन मंदिरों में धूमधाम के साथ मनाया गया। शास्त्रों के अनुसार दशलक्षण पर्व पर आज के दिन को विशेष माना गया है। प्रातः श्रीजी के समक्ष सभी भक्तों ने मंत्रोच्चार कर भक्ति आराधना करते हुए णमोकार मंत्र के बीच गाते- बजाते हुये धर्मशाला मन्दिर से जन्मभूमि मन्दिर गए जहाँ मूलनायक अनिष्ट शनिग्रह निवारक भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी की प्रतिमा का सभी ने जलाभिषेक कर अपने सुखद एवं दीर्घायु जीवन की कामना की।
मोक्ष कल्याणक के अवसर पर चढ़ाया गया निर्वाण लाडू
जैन धर्म के नौंवे तीर्थंकर देवाधिदेव भगवान पुष्पदंत स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर पुष्पदंत जिनालय में भव्य कार्यक्रम प्रातः समय आयोजित किया गया। जिसमें स्थानीय जैन समाज की महिलाएं, पुरुष, बच्चे सम्मिलित हुए। मोक्ष कल्याणक के पावन अवसर पर मोक्ष की कामना करते हुए सबों ने निर्वाण लाडू प्रभु के चरणों मे समर्पित किया।
क्रोध, मान, माया और लोभ का त्याग हमें दशलक्षण का चौथा धर्म सिखलाता है
उत्तम शौच धर्म के अवसर पर जिनमंदिर में विधिवत पूजा धूमधाम के साथ आयोजित की गई। उत्तम शौच धर्म की विशेषता बताते हुए रवि कुमार जैन ने बताया कि जैन धर्म मे पर्युषण पर्व का उत्तम शौच चौथा धर्म कहलाता है जो हमें क्रोध, मान, माया, और लोभ को त्याग करने से जो आत्मिक शुद्धता आता है इसे दशलक्षण पर्व में उत्तम शौच धर्म की संज्ञा दी गयी है। अपने पास उपलब्ध वस्तुओं से ही संतोष करना और अधिक पाने की लालसा न करना ही उत्तम शौच धर्म बताता है।
उत्तम शौच धर्म पर कहा कि यदि अपनी आत्मा की पवित्रता चाहते हो तो अन्याय का धन मत ग्रहण करो, अभक्ष्य भक्षण नही करो, परस्त्री की वाक्षा नही करो। शौच धर्म तो परमात्मा के ध्यान से होता है। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह से शौच धर्म होता है।
इस पावन अवसर पर मंदिर के सभी अधिकारिगण, स्थानीय समाज के श्रावक, श्राविकाये एवं बच्चे उपस्थित हुये।