गिरियक प्रखंड के रैतर गांव में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के दिशा निर्देश पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 6 से 18 वर्ष के बच्चों की स्क्रीनिंग टूल की मदद से स्वास्थ्य की जांच की गई। इस कार्यक्रम में चिकित्सक एवं अनुभवी स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा स्कूल के बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई और जांच करने के बाद अगर किसी बच्चे में किसी बीमारी के लक्षण पाए गए हैं तो उनका रेफरल कार्ड बनाया जाता है।
इस कार्यक्रम के तहत 36 तरह के बीमारियों की जांच की गई। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि अगर किसी बच्चे में किसी भी बीमारी का लक्षण जांच के दौरान पाया जाता है तो उस बच्चे का रेफरल कार्ड बनाया जाता है जिसमें सबसे पहले बच्चे में बीमारी के लक्षण की पुष्टि होते ही प्रखंड के पीएचसी ले जाया जाता है फिर वहां से सदर अस्पताल बिहार शरीफ ले जाया जाता है जहां सिविल सर्जन के देखरेख में और छोरा जैसन सर्टिफिकेट बनाया जाता है और उस सर्टिफिकेट के माध्यम से उस बच्चे का हर हॉस्पिटल में उपचार की सुविधा उपलब्ध है, जिसका सारा खर्च केंद्र सरकार के तरफ से की जाती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गिरियक के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ प्रीति ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जो पूरे भारत में चल रहा है जिसके अंतर्गत आंगनबाड़ी और स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य जांच कर स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाता है हर आंगनबाड़ी और स्कूल के बच्चों की स्वास्थ्य की जांच की जाती है जिसमें 0 से 6 वर्ष की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी में की जाती है और 6 से 18 वर्ष के बच्चों का स्क्रीनिंग स्कूल में किया जाता है इस कार्यक्रम के तहत साल में एक बार स्कूल में और आंगनबाड़ी में दो बार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है जिसके तहत कुल 36 बीमारियों की जांच किया जाता है। अगर बच्चों में किसी बीमारी का लक्षण दिखता है तो उसका इलाज सरकार के द्वारा करवाया जाता है।