उत्तर प्रदेश: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे नेताओं का दल बदल का सिलसिला शुरू हो चूका है कई नेता बीजेपी छोड़ कर सपा में तो कई सपा नेता सपा छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और लगातार पार्टी बदलते हुए नजर आ रहे हैं बीएसपी और कांग्रेस के नेताओं ने भी दलबदल किया है.
ऐसे में आज सपा के 2 MLC घनश्याम लोधी और शैलेन्द्र सिंह बीजेपी में शामिल हुए हैं. इसके अलावा पूर्व विधायक ओमप्रकाश ने भी बीजेपी को ज्वाइन कर लिया है.आपको बताते चले की जानकारी के अनुसार यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने इन नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई है.
सपा के दो विधान परिषद सदस्यों के अलावा पूर्व IAS रामबहादुर बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. वहीं पूर्व विधायक ओमप्रकाश वर्मा भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
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सपा के एमएलसी ने आगे कहा, एक खेमा उनको पार्टी में लेने कि बात कर कर रहा था, और दलील दे रहा था की जितिन के आने से पार्टी को ब्राह्मण चेहरा मिलेगा। उनका इस्तेमाल दिल्ली के साथ ही यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किया जा सकता है। जितिन को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें केंद्र की राजनीति में सक्रिय किया जा सकता है।
वहीं, दूसरा खेमा अखिलेश को यह समझाने में कामयाब रहा की उनके सपा में शामिल होने से पार्टी को कोई फायदा नही मिलेगा। खासतौर से शाहजहांपुर और धरहरा के आसपास के नेताओं ने इसका विरोध किया। इसमें एक विधायक भी शामिल रहे और अखिलेश ने उनकी बात मान ली।
#WATCH | I will complain to the Election Commission to remove all officials who joined BJP with Asim Arun… Questions will arise on the EC if it doesn't probe the matter; we won't believe the EC is working fairly: SP chief Akhilesh Yadav, on ex-IPS officer Asim Arun joining BJP pic.twitter.com/wozDyOpDZK
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 16, 2022
सपा के एमएलसी ने आगे कहा, एक खेमा उनको पार्टी में लेने कि बात कर कर रहा था, और दलील दे रहा था की जितिन के आने से पार्टी को ब्राह्मण चेहरा मिलेगा। उनका इस्तेमाल दिल्ली के साथ ही यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किया जा सकता है। जितिन को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें केंद्र की राजनीति में सक्रिय किया जा सकता है।
वहीं, दूसरा खेमा अखिलेश को यह समझाने में कामयाब रहा की उनके सपा में शामिल होने से पार्टी को कोई फायदा नही मिलेगा। खासतौर से शाहजहांपुर और धरहरा के आसपास के नेताओं ने इसका विरोध किया। इसमें एक विधायक भी शामिल रहे और अखिलेश ने उनकी बात मान ली।