संजीव कुमार
नालांदा
डाल्टेनगंज(14 अप्रैल,शुक्रवार) आज डॉक्टर अम्बेडकर की जयंती है वर्तमान दौर में इन्हें चाहने वालों की तादाद क्यों बढ़ रही है? हमारा देश भारत राजे रजवाड़ों का देश रहा है। जिन पर आर्यों का आधिपत्य था। ये दोनों मिल कर अनार्यों को गुलाम बना रखा था।इनके सारे हक अधिकार को छीन रखा था और आदमी को जानवरों से भी बदतर ब्यवहार करता था। महात्मा बुद्ध के बाद इस बात को डॉक्टर अम्बेडकर ने समझा। इस हालत से बाहर करने के लिए डॉक्टर अम्बेडक ने ठाना और सामाजिक विषमता आर्थिक संकट के बावजूद पढ़ने में अपनी सारी ऊर्जा को झोंक दिया जो आगे चल कर विश्व का छठा विद्वान बने और भारत को आजादी के साथ दुनिया के सबसे बड़ा संविधान दिये।बहुजन हिताये बहुजन सुखाए का नारा बुलंद किया।
दलितों शोषितों पीड़ितों के आवाज़ बने सारा हक अधिकार दिलवाई तब आज का यह नजारा है जब नौजवान लड़के लड़कियां बूढ़े जवान और सभी समाज के लोग सड़क पर नाच गा रहे हैं खुशियाँ मना रहे हैं। अपनी ज्ञान के बल पर डॉक्टर अम्बेडकर हर भारतीयों के बाबा साहब अम्बेडकर बन गए।
बतीस डिग्री नौ भाषा लिए ज्ञान के प्रतीक यानी सिंबल ऑफ नॉलेज हैं सूर्य के समान रौशनी से वंचित वर्ग आज चमक रहे हैं आज वैसे महामानव बाबा साहेब बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के 132 वीं जयंती के शोभायात्रा में शामिल हुआ और विभिन्न जगहों पर उनको श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। जय भीम