जेठियन-वेणुवन 11 वीं धम्म यात्रा में शामिल हुए 12 देशों के बौद्ध श्रद्धालु, अफसरों ने पुष्पगुच्छ भेंट किया

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ढाई हजार साल पहले जहां से गुजरे थे बुद्ध, वहां से निकली धम्म यात्रा

संजीव कुमार बिट्टु

राजगीर/नालंदा, जिस पथ से ढाई हजार साल पहले सिद्धार्थ व भगवान बुद्ध गुजरे थे, उसपर शुक्रवार को धम्म यात्रा निकाली गयी। जेठियन-वेणुवन 11वीं धम्म यात्रा में भारत के अलावा श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, अमेरिका, जापान, चीन, लाओस के तीन हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु शामिल हुए। इसका आयोजन नव नालंदा विहार, बुद्ध धम्म फाऊंडेशन इंडिया, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति, अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्फिडेरेशन नई दिल्ली, पर्यटन विभाग द्वारा किया गया।

धम्म यात्रा की शुरुआत वर्ष 2014 से की गयी है। यात्रा को लेकर नालंदा जिला प्रशासन व वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विधि- व्यवस्था और आगत-स्वागत की व्यापक व्यवस्था की गई थी। जेठियन ग्राम (प्राचीन नाम यष्ठिवन) गया जिले से प्रारंभ होकर प्राचीन बुद्ध चारिका पथ से होते हुए लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय कर राजगीर के वेणुवन में समाप्त हुई।

राजगीर-जेठियन मार्ग पर नेचर सफारी के मुख्य द्वार पर शुक्रवार को धम्मयात्रा में शामिल श्रद्धालु।

स्वागत में जुटे रहे अधिकारी |

धम्म यात्रा को लेकर नालंदा जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ वन पर्यावरण विभाग, एवं पर्यटन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के लोग सजग रहे। नेचर सफारी के रेंजर ऋषिकेश कुमार, फॉरेस्टर रंजीत यादव के द्वारा बौद्ध श्रद्धालुओं को पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया गया। बीडीओ मुकेश कुमार, राजगीर इंस्पेक्टर रमन कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

भगवान बुद्ध की शांति यात्रा से प्रेरित है धम्म यात्रा

नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि यह धम्म यात्रा भगवान बुद्ध से प्रेरित शांति यात्रा है। वैश्विक हिंसा के इस माहौल में बुद्ध एक आलोक की तरह हैं। आज विश्व को इसकी जरूरत है। हमें उनकी राह पर चलकर अपने चित को परिमार्जित करना होगा। ज्ञान पाने के बाद भगवान बुद्ध इसी रास्ते से राजगीर आये थे। उस रास्ते पर चलकर आने से सुखद अनुभूति होती है।

जेठियन राजगीर पथ से कभी आए थे भगवान बुद्ध

बिम्बिसार के शासनकाल में भगवान बुद्ध सम्यक सम्बोधि प्राप्ति और सारनाथ में धर्मचक्र प्रवर्तन सूत्र का उपदेश देने के बाद मगधराज बिम्बिसार से मिलने राजगृह इसी मार्ग से आए थे। बिम्बिसार को जब यह ज्ञात हुआ कि तथागत सम्यक सम्बुद्ध इसी मार्ग से राजगृह आ रहे हैं, तो जेठियन (यष्ठिवन) में अपने अमात्यों सहित भगवान बुद्ध के स्वागत के लिए खड़े रहे। और राजकीय उद्यान वेणुवन में उन्हें ठहराया था।

वेणुवन को दान में दे दिया

जेठियन-राजगीर धम्म यात्रा दिवस को बुद्धचारिका दिवस घोषित किया जाना चाहिए। प्राचीन नालंदा महाविहार में शिक्षाग्रहण करने वाले चीनी बौद्ध यात्री फाह्यान व हवेनसांग धम्म यात्रा के साक्षी रहे हैं। कुलसचिव प्रो. दीपंकर लामा ने कहा कि भगवान बुद्ध ने विश्व को शाति का संदेश दिया था। लोगों को उसका अनुकरण करना चाहिए। यह यात्रा विश्व के लिए मंगलकारी है।

इसके बाद मगधराज बिम्बिसार ने वेणुवन राज्योद्यान को दान स्वरूप भिक्षुसंघ को समर्पित कर दिया था। पद यात्रा में 12 देशों के सैकड़ों विदेशी बौद्ध श्रद्धालुओं के साथ नव नालंदा महाविहार के छात्रों व जेठियन और राजगीर के लोग शामिल हुए। यात्रा शुरू होने से पहले बौद्ध भिक्षुओं ने जेठियन में भिक्षाटन किया। बुद्ध पथ पर चलते हुए श्रद्धालु ग्यारहवीं बार जेठियन से राजगीर के वेणुवन पहुंचे।

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