राजगीर
मगध के गौरवशाली इतिहास का पन्ना प्राचीन राजगीर के ऐतिहासिक धरोहरों को देखने से पता चलता है लेकिन आजकल सोन भंडार के पास लगा हुआ वन विभाग के बैरियर पर देशी विदेशी पर्यटकों को रोक कर उनके वाहनों को वही पर रोक दिया जाता है जिस कारण सैकड़ो देशी विदेशी पर्यटक जरासंध अखाड़ा देखने से वंचित हो रहे हैं। वन विभाग के स्थानीय कर्मियों का कहना है कि उच्च अधिकारियों का आदेश है।
जबकि विगत वर्ष जब इसी समस्या से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्थानीय लोगो द्वारा शिकायत की गई तो उन्होंने नेचर सफारी जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने का आदेश वन विभाग के अधिकारियो को दिया था।अब जब अखाड़ा से आगे नेचर सफारी जाने के लिए मार्ग बन गया और नेचर सफारी की बसे भी उसी रास्ते से चलाना शुरू कर दिया गया है फिर भी सोन भंडार के पास बैरियर यथावत है और पर्यटक वाहनों को वहीं पर रोका जा रहा है।
विभाग के कर्मियों द्वारा पर्यटक वाहनों को अखाड़ा जाने से मना कर दिए जाने से पर्यटक जरासंध अखाड़ा देखने से वंचित हो रहे हैं।
राजगीर के पुरातात्विक अवशेष जरासंध अखाड़ा को देखने के लिए पर्यटक जिद्द तो करते हैं लेकिन आजकल सोन भंडार के पास लगे हुए वन एवं पर्यावरण विभाग के कर्मियों द्वारा अखाड़ा जाने से रोक दिया जा रहा है।
पर्यटक भी काफी अचंभित है कि आखिर वन विभाग सरकार के कर्मी जरासंध अखाड़ा जाने से क्यों रोक देते हैं जबकि जरासंध अखाड़ा का ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व का क्षेत्र है और भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीनस्थ है।
सोनभण्डार के पास मौजूद जहानाबाद के ओमप्रकाश चौधरी, गिरियक के नागेंद्र नाथ सिन्हा,अर्जुन श्रीवास्तव, बिहारशरीफ के वीरू चन्द्रवंशी, बांका के रंजीत कुमार ने बताया कि वे सभी अखाड़ा देखने के लिए आये थे लेकिन सोनभण्डार के पास बैरियर पर ही रोक दिया गया।
अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती ने कहा कि राजगीर की पहचान ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर से है न कि नेचर सफारी से लेकिन जिस तरह शासन द्वारा अखाड़ा दर्शन से पर्यटको को रोक रहा है वह निंदनीय है । उन्होंने कहा कि इस चिंतनीय विषय से बिहार के मुख्यमंत्री सहित राज्य एवं केंद्र के आलाधिकारियों के समक्ष समस्या को पुनः अवगत कराया जाएगा।
राजगीर के स्थानीय समाजसेवी संजय कुमार ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों की अनदेखी इतिहास प्रेमियों के लिए काफी दुखदायी है।सरकार को यदि बैरियर लगाना ही है तो जरासंध अखाड़ा के बाद लगाया जाए क्योंकि राजगीर की पहचान महाभारत कालीन इतिहास से ही है जिसको देखने की स्वतंत्रता आम आदमी को है।