चीन भारत में दखलअंदाजी कर रहा है इस पर रोक लगे- सांसद कौशलेंद्र* *महामहिम राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में भाग लिए नालंदा सांसद कौशलेंद्र

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लोकसभा में नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा में भाग लेते हुए जोरदार तरीका से देश की समस्याओं को प्रमुखता से रखते हुए कहा कि आज देश में सरकार अमृतकाल के 25 वर्ष का कालखण्ड मना रही है। परन्तु देश की जनता को अमृतकाल का जो अनुभव होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। सपने तो दिखाये गये और लगातार दिखाये जा रहे है, परन्तु देश की जनता को इसका क्या लाभ मिल रहा है? प्रधानमंत्री जी ने वायादा किया कि सभी के खाते में 15-15 लाख देंगे, हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देंगे, किसानों की आय दोगुनी करेंगे, बुलेट ट्रेन, 100 स्मार्ट-सिटी और आदर्श ग्राम आदि सभी वायदे आज तक पूरे नहीं हुए। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अपने वायदे को पूरा नहीं कर पाने के कारण इस्तीफा दे दिए। क्या हमारे प्रधानमंत्री जी भी विचार करेंगे? सरकारंे 5 वर्षों के लिए चुनी जाती है, किन्तु सपने 25 वर्षाें के दिखाये जाते हैं।
ऽ 2047 तक राष्ट्र के निर्माण की बात हो रही है, किन्तु देश में कई राज्य विकास की दौर में पिछड़े हुए हैं। बिहार अंतिम पायदान पर है। बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को आगे बढ़ाये बिना देश के समावेशी विकास का सपना कैसे पूरा किया जा सकता है। इसीलिए हमारे नेता एवं मा.मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का आग्रह है कि बिहार को अन्य राज्यों को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा के समान ही बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जाये। जिससे कि वहाँ भी विकास की रूपरेखा तैयार हो।
ऽ ऐसा भारत जिसमें गरीबी न हो-फिर भी आज देश में करीब 80 करोड़ लोगों को मात्र 5 किग्रा. मुफ्त अनाज देने पर सरकार अगले एक वर्ष तक बढ़ाने की बात करती है। उनको आत्मनिर्भर कब तक बनाया जायेगा।
ऽ करीब 90 प्रतिशत लोगों की मासिक आय 10 हजार रू. से भी कम है। मेरी मांग है कि सरकार इस दिशा में कोई सार्थक कदम उठाये।
ऽ ऐसा भारत जिसकी युवा शक्ति, नारी शक्ति और समाज एवं राष्ट्र की बात की जा रही है। युवा शक्ति बेरोजगार है। जनवरी, 2023 में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत है। रोजगार सृजन के उपाय होने चाहिए, जबकि रोजगार को ही समाप्त किया जा रहा है।
ऽ आरक्षण से बचने के लिए आऊट-सोर्सिंग से काम लिया जा रहा है। यह कदम बेरोजगार युवाओं के बहुत बड़े वर्ग के लिए आत्मघाती हो रहा है।
ऽ नारी शक्ति की बात की जा रही है। उस नारी शक्ति को सम्मान महिला आरक्षण को लागू करके ही किया जा सकता है।
ऽ एक तरफ समाज और राष्ट्र की बात की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ समाज को बाँटने का काम हो रहा है। धर्म के नाम पर समाज में जहर घोला जा रहा है। सबका साथ-सबका विकास-न्याय के साथ ही सम्भव होगा।
ऽ बड़े-बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार की बात हो रही है और अभी एक सप्ताह से देश-दुनियां के दूसरे नम्बर के धनी व्यक्ति को नीचे जाते देखा जा रहा है। उन्होंने तो देश की साख पर ही बट्टा लगा दिया है। कहाँ हैं-सेबी, आरबीआई, बैंक और ईडी सभी सरकार की संस्थायें। क्या उन्हंे यह नेक्सस नजर नहीं आ रहा है? सब खामोश हैं। जो किसी भी विषय पर बोलने को आगे रहते हैं, सब के सब खामोश हैं। क्या इसकी स्वतंत्र जाँच होगी? नियामक के दोषियों की जिम्मेवारी तय होगी की नहीं।
ऽ दुनियां की 5वीं अर्थव्यवस्था की बात की जा रही है।
ऽ महोदय, जिस जीडीपी को सरकार के सांसद मानने को तैयार नहीं थे, वही आज जीडीपी के आधार पर दुनियां की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था की बात हो रही है। 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का रोड मैप देश की जनता के सामने होना चाहिए। आज तो आप मात्र एक ही बड़े उद्योगपति का खुलासा होने पर 5वीं अर्थव्यवस्था से नीचे खिसक गये।
ऽ मंहगाई-महोदय, मंहगाई चरम पर है। आम जनता मंहगाई से त्रस्त है। सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार को बफर स्टाक से 30 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा करनी पड़ रही है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम अन्तर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भाव के अनुपातित नहीं है। सरकार और तेल कम्पनियां मुनाफा कमा रही है। जनता मंहगाई का बोझ झेल रही है। इसे जीएसटी के दायरे में लाना ही एक मात्र उपाय है।
ऽ डालर के मुकाबले रूपया गिरता जा रहा है। विदेशी व्यापार घाटा बढ़ रहा है। देश आर्थिक मंदी की ओर जाता दिखाई दे रहा है। हम आत्मनिर्भर होने की दिशा में बातें तो कर रहे हैं, लेकिन काम नजर नहीं आ रहा है।
ऽ किसान और कृषि उत्पादन-किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा सरकार कर रखी है, जिसे वर्ष, 2022 के दिसम्बर माह का लक्ष्य रखा गया था, क्या हुआ। किसान आज भी अपने अधिकार के लिए आन्दोलन करने के लिए मजबूर है। एमएसपी को कानूनी गारण्टी नहीं दिया गया है। कृषि उत्पादन तो मौसम पर निर्भर है। पिछले वर्ष मौसम थोड़ा गरम हुआ, गेहूँ का उत्पादन कम हो गया और मंहगाई चरम पर आ गई। बिचैलिए खूब कमाई करने में लगे हैं। क्योंकि स्टाक तो उनके पास है।
ऽ आज बिहार में आलू 5 रूपये किलो किसान बेचने के लिए मजबूर है। वहीं एक महीना बाद जब किसान से कारोबारियों के गोदाम में जायेगा-फिर वही आलू 20 से 25 रूपये किलो में बिकने लगेगा। बिचैलियों पर कोई अंकुश नहीं है। इसी प्रकार इस वर्ष बिहार एवं अन्य कई राज्यों में यूरिया खाद की किल्लत कर दिया गया। किसान ब्लैक मार्केट से दोगुने दाम पर खरीदने के लिए मजबूर हो गये। यह परिस्थिति किसानों के लिए उत्पन्न कर दिया जाता है।
ऽ पड़ोसी देशों के साथ संबंध-चीन की वजह से हमारे पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर नहीं है। चीन सभी देशों में अपना दखलअंदाजी कर रहा है। अपना प्रभुत्व जमा रहा है। सरकार को सजग रहने की आवश्यकता है। चीन हमारी सीमा पर भी अपनी गतिविधियाँ बढ़ा रहा है। यह देश के लिए चुनौती का विषय है। सरकार चीन से कैसा संबंध चाहती है। क्योंकि एक तरफ चीन आक्रामक है, दूसरी ओर हमारा व्यापार भी चल रहा है, जो बढ़ता ही जा रहा है। अतः चीन पर निर्भरता कम करने के उपाय होने चाहिए, नहीं तो शान्ति स्थापित करना मुश्किल हो जायेगा। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ। धन्यवाद।

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