राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम की 30 टीम एवं 49 चिकित्सकों द्वारा जिला के सभी विद्यालयों में बच्चियों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की की जाएगी जाँच, एनीमिया की पुष्टि होने पर किया जाएगा उपचार
कक्षा 6 से 12 की सभी लड़कियों एवं सभी गर्भवती महिलाओं का टॉक-टेस्ट-ट्रीट आधार पर होगी जाँच एवं उपचार
संजीव कुमार बिट्टू
नालंदा
उनके द्वारा आज समाहरणालय परिसर से आरबीएसके की 30 टीम को वाहन के साथ हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
आगामी 20 अक्टूबर तक यह टीम जिला के सभी 1046 विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक की सभी छात्राओं एवं सभी 3405 आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की जाँच कर एनीमिया ग्रस्त पाए जाने वालों का उपचार करेगी। इस कार्य मे 49 चिकित्सकों को लगाया गया है।
सभी विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए रोस्टर का निर्धारण किया गया है। निर्धारित रोस्टर के अनुरूप टीम संबंधित विद्यालय/आंगनबाड़ी केंद्र पर जा कर लक्षित समूह की लड़कियों एवं महिलाओं की टॉक-टेस्ट-ट्रीट (टी-3) आधार पर जाँच एवं उपचार करेगी।
यह अभियान स्वास्थ्य विभाग,शिक्षा विभाग एवं समेकित बाल विकास परियोजना के समन्वय से क्रियान्वित किया जा रहा है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बताया कि अभियान के तहत जिले में कक्षा 6 से 12 तक की सभी लड़कियों और आगनबाड़ी केंद्रों में सभी गर्भवती महिलाओं महिलाओं की जाँच की जाएगी। जिन लड़कियों/महिलाओं का हीमोग्लोबिन कम होगा, उन्हें दवाइयां देकर उचित उपचार किया जाएगा।अभियान अगले महीने तक चलेगा।
प्रतिदिन एक स्कूल और दो आगनबाड़ी केंद्रों में टीम जाएगी और जाँच करेगी। उसी समय जाँच रिपोर्ट के आधार पर उनका उपचार भी किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि अभियान का लक्ष्य नालंदा को एनीमिया मुक्त बनाना है। एनीमिया से ग्रसित बच्चियों और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर उपविकास आयुक्त, जिला शिक्षा पदाधिकारी, डीपीएम स्वास्थ्य सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।