संजीव कुमार बिट्टू
नालन्दा
राजगीर (नालन्दा/बिहार)
पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम की आराधना की गई। भाद्रपद शुक्ल दशमी को श्री राजगृह जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र के सभी मंदिरों में सुगंध दशमी व्रत पर्व भी मनाया गया, इसे धूप दशमी, धूप खेवन पर्व भी कहा जाता है। यह व्रत पर्युषण महापर्व के छठवें दिन दशमी को मनाया गया आज जैन धर्मावलंबी उदयगिरी पर्वत (तलहटी मन्दिर), जन्मभूमि मन्दिर, वीरशासन धाम तीर्थ, धर्मशाला मन्दिर, सरस्वती भवन मंदिरों में जाकर श्रीजी तथा जिनवाणी माता के चरणों में धूप अर्पित की।
सुगंध दशमी व्रत की जानकारी देते हुए रवि कुमार जैन ने बताया कि इस पर्व का जैन धर्म में काफी महत्व है और इस महापर्व पर श्रावक, श्राविका, बच्चे व्रत को करते हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य के सारे अशुभ कर्मों का क्षय होकर पुण्य तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। संसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इस व्रत का फल बताया गया है।
आगे बताते हुए कहा कि सुगंध दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पांच पापों के त्याग रूप व्रत को धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, मंदिर में जाकर भगवान की पूजा, स्वाध्याय, धर्मचिंतन- श्रवण, समायिक आदि में अपना समय व्यतीत करने का महत्व है। इस दिन जैन धर्मावलंबी अपनी-अपनी श्रद्धानुसार कई मंदिरों में अपने शीश नवाकर सुंगध दशमी का पर्व बड़े ही उत्साह और उल्लासपूर्वक मनाते हैं। सुगंध दशमी व्रत कथा पढ़ने के साथ-साथ सभी जैन जिनालयों में 24 तीर्थंकरों, पुराने शास्त्रों तथा जिनवाणी के सम्मुख चंदन की धूप अग्नि पर खेवन किया गया। इस पर्व जैन मन्दिर सुबह से धूप की खुशबू से महक रहे थे। कहते हैं कि आज के दिन सच्चे मन से प्रभु की पूजा करने से इंसान के सारे अशुभ कर्मो, कष्टों और दर्द का क्षय होता है।
इस कार्यक्रम में कमिटी के अधिकारीगण, अन्य प्रांतों से आये जैन तीर्थयात्री, स्थानीय जैन समाज, महिलाएं, बच्चे उपस्थित हुए।